परलीका के ब्लॉगर- Blogger

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डॉ. सत्यनारायण सोनी- राजस्थानी और हिंदी के साहित्यकार, परलीका के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में हिंदी के प्राध्यापक के पद पर कार्यरत. इन्टरनेट पर राजस्थानी को लाने में अमूल्य योगदान.
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रामस्वरूप किसान- खेती के साथ साथ साहित्य रचना इनकी कला है. हल जोतते जांटी के नीचे बैठकर किताब लिखना इनकी अलग ही बात है. 
 
अनिल कुमार बिडान- कई सालों से विदेश में रह रहे हैं और अपनी मिटटी से लगातार जुड़े हुए हैं. विश्व की बीस भाषाओ में बात इनकी कला का एक हिस्सा है. गाँव के गौरव हैं ये.
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सत्यदीप- अभी ब्लॉग लिखना शुरू किया है और विश्वाश है की जल्द ही गाँव की मिटटी को सबके सामने पेश करून, बचपन से ही पंजाबी और राजस्थानी गीत लिखने और गाने का शौक रखते हैं.
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अजय परलीका- बी.ए. तृतीय वर्ष में अध्यनरत और महज उन्नीस बरस की आयु में अजय परलीका के पहले ब्लॉगर के रूप में जाने जाते हैं और राजस्थानी को इन्टरनेट पर लाने वाले शायद पहले युवा हैं. दैनिक भास्कर में परलीका के लिए समाचार संकलन का कार्य भी करते हैं.

3 टिप्पणियाँ:

सुनील गज्जाणी ने कहा…

नमस्कार !
नव वर्ष की आप को बहुतबहुत बधाई ,
'' परलीका '' का अच्छा संग्रह आप निरंतर रखेयेगा .,सभी सम्मानिया ब्लोगेर्स को भी नव वर्ष कि बधाई
सादर !
,

Unknown ने कहा…

KL M GANGANAGAR GYA TO JEEVN KA 1 YAADGAR DIN OR US KI YAAD LEKR WAPIS AAYA OR WO YAAD THI RAJSTHANI "KAVIYA RE JAJEM" MUJE NHI PTA THA KI MARI RAJASTHANI ASI BHI H OR US ME BOLA GYA HAR 1 SWAD KVITA H OR JO M SOCH RHA HU OR JO MENE SUNA THA US KA BYAN MERE HATH IS KEEBORD PR NHI KR SKTE Q KI RAJESTHANI KAVIYA RI JAJM KO M 1 ADNA SA INSAN LIKH NHI SKTA

vijendra sharma ने कहा…

डॉ असत्य नारायण सोनी की " केवती ही माँ " जैसी बेहतरीन अनुवादित पुस्तक पर की गयी अभद्र टिपण्णी और इसे सौ में से मात्र 28 अंक देना , अपने ख़ास की पुस्तक को सौ में से 98 अंक ...ऐसे शर्मनाक निर्णय पर एक प्रतिक्रया.....

""देख मुंसिफी आपकी , उठने लगे सवाल ! .....
पता सभी को चल गया , किसके आप दलाल !! ......


विजेन्द्र

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